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Contents
- 1 लिवर डीटॉक्स
- 1.1 आयुर्वेद में लिवर का महत्व ,वर्णन
- 1.2 कौनसे लक्षण हैं जो यकृत विकार संबधित होते हैं ?
- 1.3 लिवर की क्लींजिंग
- 1.4 लिवर को स्वस्थ रखने के लिए लिवर डीटॉक्स फ़ूड
- 1.5 रिसर्च अनुसार कुछ लिवर डीटॉक्स के लिए ड्रिंक्स और लाइफस्टाइल टिप्स
- 1.5.1 सिंहपर्णी वनस्पति -(ड़याँनडिलिओन टी क्लीनजेस लिवर )
- 1.5.2 इसकी जड ,पत्ते ,फूल सभी खाये जाते है इसका कड़वा रस पित्त का शोधन करके लिवर को स्टिमुलेट करता है। इससे बनी चाय लिवर फंक्शन के लिए लाभदायी। सलाद के रूप में इनके पत्तियों का सेवन किया जाता हैं। इनमे जो pollysaccrides मिलते है वो लिवर का लोड कम करने में सहायक बनते है।
- 1.5.3 बीटरूट जूस और लिवर क्लींजिंग
- 1.5.4 इससे लिवर को स्टिमुलेशन मिलता है ,बाइल का फ्लो बढ़ता है जिससे लिवर को टॉक्सिन्स हटाने में सहायता मिलती हैं ,आंतो की मूवमेंट ठीक होती है जिससे कॉन्स्टिपेशन भी कम होता है। और शरीर से मलभाग का निर्गमन हो जाता है। रिसर्च अनुसार इनमे पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स लिवर को प्रोटेक्ट करते हैं।
- 1.5.5 गाजर जूस ,गाजर सूप और लिवर क्लींजिंग
- 1.5.6 पानी
- 1.5.7 नींद और इमोशन –
- 1.6 लिवर के लिए आयुर्वेद में उपयोग किए जाने वाले हर्ब्स
- 1.7 लिवर की हेल्थ के लिए योगासन ,प्राणायाम
लिवर डीटॉक्स
” स्वास्थ्य की दुनिया में डीटॉक्स शब्द काफी प्रचलित हो गया हैं। इन डीटॉक्स थेरेपी में कई तरीके अपनाये जाते है जो शरीर में निर्मित हानिकारक टॉक्सिन्स बाहर करने में सहायक होते है जैसे उपवास करना ,फ्रूट्स ,जूस आदि का सेवन करना ,डीटॉक्स की रेसिपीज़ आदि। लिवर डीटॉक्स को महत्व दिया जाता हैं क्योंकि लिवर है हमारे चयापचय क्रिया का मुख्य आधार ,शरीर का मुख्य बड़ा अंग , ये एक ग्लैंड है , जो शरीर में निर्मित टॉक्सिन्स को फ्लश करता हैं। याने ये रक्त को शुद्ध रखता है। हमारा लिवर 24 घण्टे इसी काम में होता हैं तो सबसे सही तरीका इस लिवर को स्वस्थ बनाने का , हम अपनाये लिवर को स्वस्थ रखने वाला अन्न ,और योग्य लाइफस्टाइल। ”
आयुर्वेद में लिवर का महत्व ,वर्णन
- वेदो में लिवर का तकिमा ,यक्न ,आदि नाम से वर्णन मिलता हैं।
- वाग्भटजी ने अष्टांगहृदय में में यक्रितखंड ,यक्रितपिंड आदि नाम से वर्णन किया हैं।
- इसे रक्त से निर्मित कह रक्तवहस्त्रोतस का मूलस्थान कहा जाता है।
- लिवर पर असर होता है अन्न ,लाइफस्टाइल और मेन्टल स्ट्रेस का।
- आयुर्वेद में लिवर डेटॉक्स करने के लिए पित्त शामक पदार्थ सेवन ,ट्रीटमेंट में दीपन ,पाचन ,शोधक ट्रीटमेंट विरेचन ,और योग्य जीवनशैली का अनुसरण बताया जाता हैं।
यकृतविकार होने के कारक (आयुर्वेद अनुसार )
अति मद्यपान
अतिउष्ण ,तीक्ष्ण अन्न सेवन
रात्रि जागरण
दिन में सोना
ज्यादा प्रोसेस्ड फ़ूड (गुरु ,अभिष्यंदी भोजन जैसे पिज़्जा ,बर्गर आदि )
कौनसे लक्षण हैं जो यकृत विकार संबधित होते हैं ?
थकान
भूक न लगना
गैस की समस्या
कॉन्स्टिपेशन
अपचन ,अजीर्ण
जी मचलना
हर्टबर्न
मुखदुर्गन्धि
पिम्पल्स
हार्मोनल इम्बैलेंस
स्किन ग्लो कम होना ,दूसरे त्वचा विकार
कड़वे डकार
जॉइंट्स में दर्द
शरीर पर सूजन
नींद न आना
आंखें पिली होना आदि कई लक्षण लिवर से संबधित होते हैं क्योंकि लिवर से ही हमारे शरीर का मेटाबोलिज्म ,डायजेशन अदि रेगुलेट होता हैं। लिवर ही कई ऐसे कंपाउंड बनता है जो शरीर स्वस्थ रहता है। रक्त की शुद्धि इन्ही कंपाउंड से होती है।
लिवर की क्लींजिंग
लिवर की क्लींजिंग के काम से अच्छे bile का प्रोडक्शन होता हैं जिससे पाचन प्रक्रिया बेहतर हो जाती हैं। जो टॉक्सिन्स बनते है वो ठीक से एलिमिनेट हो जाते हैं। और आंतो का लोड भी कम हो जाता हैं। इन सभी प्रक्रिया से शरीर को ताकत देने वाले पोषकतत्व मिल पाते हैं। लिवर क्लींजिंग से शरीर स्वस्थ हो जाता है और ताकत ,इम्युनिटी ठीक हो जाती हैं।
लिवर को स्वस्थ रखने के लिए लिवर डीटॉक्स फ़ूड
- दिन की शुरुवात फ्रूट्स या जूस से करे बाद में लंच और डिनर में बाकि पदार्थ शामिल करें।
- आर्गेनिक अन्नधान्य का सेवन करे ,जो फ्रेश हो,कम प्रोसेस किया अन्न हो।
- पित्तशामक पदार्थ सेवन (आवला ,दाड़िम ,द्राक्षा ,अंजीर ,ताजा मीठा तक्र सेवन )
- मधुर और तिक्त (कड़वा ) रस से निर्मित अन्न का सेवन जैसे करेला,पडवल ,कुष्मांड अदि सब्जियों का सेवन ।
लाल चावल
इलायची केला
गन्ने का रस
नारियल पानी
द्राक्षा
दाड़िम
हरे मुंग
मसूर दाल
बीट ,गाजर ,आँवला ,अंजीर ,फालसा
रिसर्च अनुसार कुछ लिवर डीटॉक्स के लिए ड्रिंक्स और लाइफस्टाइल टिप्स
सिंहपर्णी वनस्पति -(ड़याँनडिलिओन टी क्लीनजेस लिवर )
इसकी जड ,पत्ते ,फूल सभी खाये जाते है इसका कड़वा रस पित्त का शोधन करके लिवर को स्टिमुलेट करता है। इससे बनी चाय लिवर फंक्शन के लिए लाभदायी। सलाद के रूप में इनके पत्तियों का सेवन किया जाता हैं। इनमे जो pollysaccrides मिलते है वो लिवर का लोड कम करने में सहायक बनते है।
बीटरूट जूस और लिवर क्लींजिंग
इससे लिवर को स्टिमुलेशन मिलता है ,बाइल का फ्लो बढ़ता है जिससे लिवर को टॉक्सिन्स हटाने में सहायता मिलती हैं ,आंतो की मूवमेंट ठीक होती है जिससे कॉन्स्टिपेशन भी कम होता है। और शरीर से मलभाग का निर्गमन हो जाता है। रिसर्च अनुसार इनमे पाए जाने वाले एंटी ऑक्सीडेंट्स लिवर को प्रोटेक्ट करते हैं।
गाजर जूस ,गाजर सूप और लिवर क्लींजिंग
गाजर में जो रेटिनोइक एसिड पाया जाता है वो लिवर के लिए संरक्षक का काम करता हैं। ये एक टेस्टी जूस है इसे बनाते समय लेमन,अदरक ,और चुटकीभर हल्दी का भी प्रयोग करे। ये सभी लिवर को स्टिमुलेशन देने वाले घटक हैं। गाजर का सूप भी सेवन कर सकते है जिसमे ये सभी अदरक ,पुदीना ,जीरा ,करीपत्ता और सेलरी डालकर सूप ले।
पानी
योग्य मात्रा में पानी का सेवन करे हाइड्रेट रहे।
नींद और इमोशन –
देर से सोना देर से उठना पित्त के दोषों को बढ़ाता हैं। और लिवर के चयापचय क्रिया में अवरोधक बनता हैं। वैसे ही शरीर के नेगेटिव इमोशन्स भी ऐसे हार्मोन क्रिएट करते हैं जो लिवर के टॉक्सिन्स रिमूव करने के काम में एक अवरोध बन जाते हैं।
योग्य नींद और इमोशन न होने पर लिवर को ब्लड से अपने कार्य को ठीक रहने के लिए उचित पोषकतत्व नहीं मिल पाते और इम्बलेंस हो जाता हैं।
लिवर के लिए आयुर्वेद में उपयोग किए जाने वाले हर्ब्स
भूम्यामलकी सारिवा हरिद्रा धमासा
कुटकी मंजिष्ठा पिप्पली चिरायता
आँवला भूनिंब रोहितक मुस्ता
हल्दी दारुहरिद्रा पाठा
गुडुची शतावरी पटोल
लिवर की हेल्थ के लिए योगासन ,प्राणायाम
धनुरासन
शलभासन
पश्चिमोतानासन
भुजंगासन
बालासन
अनुलोमविलोम
इस तरीके से अपना सकते है एक स्वस्थ लिवर जिससे हमेशा ऊर्जावान मेहसूस कर, पा सकते है बेहतर स्किन और स्ट्रांग इम्युनिटी !